कई बार कुछ ख़याल होतें हैं जो बिखर जाते है.… जाने - अनजाने। ऐसे में बहुत कठिन होता है उन्हें फिर से पाना .... अगर पाने कि कोशिश भी करें तो वो एहसास कुछ गुमशुदा से हो जाते हैं। ख़याल जो कैद हो जाएं तो भी सही नही लगता … इसलिए एक पहल कि क्यूँ न इन्हे कुछ इस तरह से संजोया जाये, जिससे क़ैद भी न हों और न ही कहीं बिखर के रह जाएं। एक कोशिश कि है आप से रुबरु मेरे ख्याल भी हो सकें , उम्मीद है आप भी मेरे इन ख्यालों को प्यार और अपनापन देंगे।
Pages
▼
Thursday, 6 February 2014
Thursday, 30 January 2014
Monday, 6 January 2014
Friday, 3 January 2014