This was written long back when the movie was released. Its not the same one what you people have heard/seen in the movie. Its written by me & its close to my heart. A voice-over has also been given to these verses. Hope you all would love & appreciate. Fortunately this poetry got published in
Dainik Jagran/lucknow/vithika/page22/monday/5may2014
Dainik Jagran/lucknow/vithika/page22/monday/5may2014
उन शोख सी अदाओं में यूँ तेरा बेतरतीबी से मचल जाना,
बारिश की बूंदों को हथेली पे उछाल के यूँ तेरा चहक जाना,
तुझे ताउम्र ऐसे ही निहारता रहूँगा मैं,
जब तक है जान, जब तक है जान ....!
तेरी हलकी सी मुस्कुराहट पे आँखों का झुक जाना,
न कुछ कहते हुए भी पल्लू का उँगलियों में लिपट जाना,
तेरे ऐसे ही अनकहे जज़्बातों से जिंदा रहूँगा मैं,
जब तक है जान, जब तक है जान ....!
उस गुस्ताख़ हवा की शैतानी से तेरी ओढ़नी का सर से सरक जाना,
इन हवाओं में तेरी महक से समां में नशा सा छा जाना,
ऐसे ही तुझे अपनी इबादत में शामिल करता रहूँगा मैं,
जब तक है जान, जब तक है जान ....!
तेरे कुछ पल के इंतज़ार में यूँ बेपरवाह हर लम्हा गुज़ारना ,
सूखे पत्तों के ढेर पे भी तेरा मखमली से एहसास को पाना,
हर ज़र्रे में इश्क का फ़लसफ़ा सजाता रहूँगा मैं ,
जब तक है जान, जब तक है जान ....!
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