Teri berukhi ki ibaadat ka kamaal thaa..
Sangdili kaa fir bhi mujhse misaal thaa..
Thi Maayusi yateem aisa mera jalaal thaa..
Zindagi kyu chand rahi yahi malaal thaa..
कई बार कुछ ख़याल होतें हैं जो बिखर जाते है.… जाने - अनजाने। ऐसे में बहुत कठिन होता है उन्हें फिर से पाना .... अगर पाने कि कोशिश भी करें तो वो एहसास कुछ गुमशुदा से हो जाते हैं। ख़याल जो कैद हो जाएं तो भी सही नही लगता … इसलिए एक पहल कि क्यूँ न इन्हे कुछ इस तरह से संजोया जाये, जिससे क़ैद भी न हों और न ही कहीं बिखर के रह जाएं। एक कोशिश कि है आप से रुबरु मेरे ख्याल भी हो सकें , उम्मीद है आप भी मेरे इन ख्यालों को प्यार और अपनापन देंगे।
आज ज़माने में हर किसी के अंदाज़ बदले हैं..
कोई नज़र-अंदाज़ है तो कोई मसरूफ़ियत में बदले हैं..
सब अपनी अहमियत से बखूबी वाकिफ़ हैं..
इस मिजाज़ में सब एक दूजे से मिले बगैर बदले हैं..
इंसान हूँ और तमाम जद्दोजहद है ज़हन में..
इस खुमारी में हर किसी के तेवर बदले हैं..
2 घडी बेवफ़ाई को तू भी आज़मा ले ऐ साक़ी..
यहाँ तो हमराज़ ने भी कई बिस्तर बदले हैं...!!
Aaj zamaane mein har kisi ke andaaz badle hain..
Koi nazar-andaaz hain to koi masrufiyat mein badle hain..
Sab apni ahmiat se bakhubi waaqif hain..
Is mijaaz mein sab ek duje se mile bagair badle hain..
Insaan hun aur tamaam jaddojahad hai zehan mein..
Is khumaari mein har kisi ke tevar badle hain..
2 ghadi bewafayi ko tu bhi aazmaa le ae saaqi..
Yahaan to humraaz ne bhi kai bistar badle hain..!
#Abhilekh
एक सफ़र।
निकली जो सड़क पता नहीं किस ओर की थी..
मंज़िल क्या पता, पता नहीं किस छोर की थी..
भटकते से कंकड़ उनपे कुछ निखरे थे..
और ज़िन्दगी लड़खड़ायी अचानक एक भोर सी थी..
न रास्ते ख़त्म होने थे न आगे रुकना था..
फिर भी ज़िन्दगी की नब्ज़ किसी डोर सी थी..
बढ़ते कदम को घाव और नर्म एहसास भी मिले..
लेकिन मेरे हौसले का शोर पुरे ज़ोर की थी..
वक़्त आज़माता रहा मुझे के मेरी उम्र कम थी..
और मेरी किस्मत किसी ख़ुशक़िस्मत चोर सी थी..!!
Nikali jo sadak pata nahi kis oar ki thi..
Manzil kya pata, pata nahi kis chhor ki thi..
Bhatakte se kankad unpe kuchh nikhre the..
Aur zindagi ladkhadayi achanak ek bhor si thi..
Na raaste khatm hone the na aage rukna tha..
Fir bhi zindagi ki nabz kisi dor si thi..
Badhte kadam ko ghaaw aur narm ehsaas bhi mile..
Lekin mere hausle ka shor pure zor ki thi..
Waqt aazmaata raha mujhe ke meri umra kam thi..
Aur meri kismat kisi khushkismat chor si thi..!!
#Abhilekh