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Wednesday, 21 September 2016

आज उजाला होगा....।

आज उजाला होगा ....।

Gulzaar saab ki 1 line se kaafiya milana tha, usi basis pr likhne ki koshish ki thi, aap sabhi bataiye kaisi hai...

चाँदनी के सिर से सरका आज दुशाला होगा,
फिर बहुत देर तलक आज उजाला होगा।

अमावस भी बादलों की ओट से झाँका होगा,
तभी चाँदनी ने चाँद को घर से निकाला होगा।

रात की चादर में लिपटे हैं ऐसे इतने सितारे,
जैसे किसी महबूब ने ओढ़नी गिराया होगा।

शहर की रौशनी भी चमक उठी है कुछ यूँ
शमा को ज़रूर आफताब नज़र आया होगा।

तमाम कसीदें गढ़ देता हूँ अक्सर बेहयायी में,
ज़रा देखो, लफ़्ज़ों ने कैसे आज़माया होगा।।

©Abhilekh

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