कई बार कुछ ख़याल होतें हैं जो बिखर जाते है.… जाने - अनजाने। ऐसे में बहुत कठिन होता है उन्हें फिर से पाना .... अगर पाने कि कोशिश भी करें तो वो एहसास कुछ गुमशुदा से हो जाते हैं। ख़याल जो कैद हो जाएं तो भी सही नही लगता … इसलिए एक पहल कि क्यूँ न इन्हे कुछ इस तरह से संजोया जाये, जिससे क़ैद भी न हों और न ही कहीं बिखर के रह जाएं। एक कोशिश कि है आप से रुबरु मेरे ख्याल भी हो सकें , उम्मीद है आप भी मेरे इन ख्यालों को प्यार और अपनापन देंगे।
Monday, 6 January 2014
नशा / Intoxification
There are number of songs/Poetry on Wine or Intoxication. मसलन : दो घूंट मुझे भी पिला दे साक़ी, देख फिर होता है क्या , शीशे से पी या पैमाने से पी... there are numerous. Everybody knows about great Mirza Ghalib n his drinking habits. Its true that any kind of intoxication, be it alcoholic or non-alcoholic, takes your mental condition to a different level. But its also to be noted that too much of habit to get kick, kicks out the life & drags one into the grave. The pathetic thing is when family/personality/character gets affected...
In view of the after-effects of Intoxication, I wrote this..
खूब जमेगा जब मिल बैठेंगे सारे यार , बहेगी व्हिस्की , वोडका या रम की बहार ... माहौल बनेगा यादों को कुरेदने का , कुछ शरारतें, कुछ मासूमियत ज़िक्र करने का ... और फिर नशे में धुत्त कदम लडखडाते , चल देंगे अपने आशियाने के तरफ ... लेकिन ... अक्सर ऐसा नहीं होते देखा मैंने , नशे में चूर बदहवास इंसान देखा मैंने , लडखडाते क़दमों पे बिखरता जहां देखा मैंने , शराब की लत में लुटते घर देखे मैंने , परिवार को उजड़ते देखा मैंने , क़र्ज़ और बीमारी में इंसान को रेंगते देखा मैंने .... इंसानियत की सीमा पार कर , इस नशे ने कितने कुकर्म को जन्म दिए ... अर्थव्यवस्था की सुधार के लिए , इस सोमरस ने जाने कितनों के प्राण ले लिए ... कुछ पल की चाहत में , इस मय के प्याले ने कितने होश बिगाड़ दिए ... क्या मिलता है ऐसे नशे से , जो बनता भी है तो उसके अस्तित्व को मिटा कर ... क्यों पिए है ऐसा द्रव्य , जिससे जिस्म भी छलनी होता रहता कई बार ... गर ये कोई सहारा है , तो क़दमों की क्या ज़रूरत फिर तुम्हे .. गर ये तुम्हारा आसरा है , तो रिश्तों के अहमियत की ख़बर नही तुम्हे .. गर तुम्हारे लिए नशा ही सब कुछ है , तो इंसानी रूप में रेंगने वाले कीड़े का स्वरुप मिला है तुम्हे ... जागो इससे पहले के देर हो जाये , निकलो इस रंगीन पानी से बाहर , इससे पहले के तुम्हारी रूह भी तुमसे दगा कर जाए ... मिली है ज़िन्दगी कुछ कर गुजरने के लिए , राह पकड़ मोहब्बत की , और कदर कर रिश्तों की अपने जीने के लिए ...!
I am not preaching that one should never drink, but then everything has limits. Even Medical Practitioner also asks to drink in sensible quantity...even Defense ppl are advised for same...but in control
I go by the Tag line of my fav brand which says "Drink Responsibly".
नशा अच्छी चीज़ हा यारों, बस नशे में नाश न करो नशे का लुत्फ़ लो , नशे को यूँ बदनाम न करो ....
I share content and solutions for mental wellness at workplace!
After spending a couple of decade in Retail Industry and Content writing, I am still writing!
A Freelance Professional Copywriter, who is also an Author.
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Yahan wo har baat hai jisey aap sunne ke bajaye padhna pasand karte hain.
Aapka saath milega toh har shabd ko ek manzil mil jayegi!
मजा सजा बन जाती है
ReplyDeleteदारू दवा सी लुभाती है
फिर ये बंदे की पीती तो,
दुआ दवा काम न आती है।
बहुत सही कहा आपने ।
प्रेरक !
बहुत सही बात है अनुराग भाई। आपकी पंक्तियाँ
Deleteभी बिलकुल सही सन्देश दे रही है।