Sunday, 2 March 2014

तेरी काशिश...

तेरी गली का रास्ता कुछ ऐसा है की बेवजह कदम चले जाते है,
हम बेपरवाही में बढे जाते है और तेरे दरवाज़े पर ठहर जाते है।

तुमसे मिलना किस्मत था फ़िर हर मुलाक़ात ज़िन्दगी बन गयी,
अब तुम खुद देखो कैसे तुम्हारी तलब मेरी बंदिगी बन गयी।

हर मौसम का मज़ा दोगुना हो जाता है जब तुम मेरे होठों पर खिलती हो,
तमाम खुशियाँ अंगड़ाई लेती है जब तुम मेरे बाँहों में मचलती हो।

No comments:

Post a Comment

About Me

My photo
India
I share content and solutions for mental wellness at workplace! After spending a couple of decade in Retail Industry and Content writing, I am still writing! A Freelance Professional Copywriter, who is also an Author. If you are reading this, do leave your comments. Connect for paid projects. ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ Yahan wo har baat hai jisey aap sunne ke bajaye padhna pasand karte hain. Aapka saath milega toh har shabd ko ek manzil mil jayegi!