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4 पल की ज़िन्दगी का सफ़र,
4 पैरों की चारपाई से शुरू होती है...
और, 4 काँधों पर ख़त्म होती है।
4 कोनों से बनी यह दुनिया,
4 दीवारों में सिमटी होती है...
और, 4 इंसानों के बीच बँटी होती है।
4 पल की ज़िन्दगी में,
4 ख़याल बेचैन करते है..
क्यूँकी, 4 रिश्तों में ज़िन्दगी उलझी होती है।
4 धर्म के आडम्बर में
4 दुनिया उलझी पड़ी है...
क्यूँकी, 4 इंसानों में एक लहू की कमी होती है।
अगर यह गिनती बढ़ भी जाए तो क्या होगा..
और अगर कम भी हो जाये तो क्या बदलेगा..
.... सिर्फ एक नया कोलाहल ही होगा।।
#Abhilekh
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