तेरे बाद...
हर चेहरा मुझे जाना पहचाना सा लगा...
कुछ यूँ हुआ एक तेरे मिलने के बाद।
ख़ुदा का नूर इतना मासूम भी होगा...
यह जाना मैंने तुझे से मिलने के बाद।
हम तो इश्क की बन्दिगी में मशगूल थे...
रूमानियत मुझ पे मुस्कुरायी तुझे छूने के बाद।
हर नज़ारा तेरे में सराबोर सा लगा...
तेरी इस जिस्म की हर महक के बाद।
मौसमों को रोज़ नए चाल में इतराते देखा...
सादगी में लिपटी इस हुस्न के बाद।
हम तो निकले थे खुदा को ढूंढने....
तलाश ख़त्म हो गयी तेरे मिलने के बाद।