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Monday, 26 December 2016

साल का आख़िरी रविवार।

कल साल का आखिरी रविवार गुज़रा,
बड़े दिन की रात में सर्द ख़याल गुज़रा।

शहर के चौराहे से बचते हुए उस रात,
मैं तेरी यादों की तंग गलियों से गुज़रा।

सब घूर रहे थे मुझे जैसे मैं सैंटा कोई,
जुस्तजू में तेरी मैं फकीरों सा गुज़रा।

ढूँढा तुझे स्याह रात की रौशनी में,
और हर अक्स तुझ में छुप के गुज़रा।

अब हफ़्ते में तफ़्तीश बाकी रहेगी,
कि तेरे संग का हर पल कैसे गुज़रा।

इक बार तू मिल के मुझे देखने दे,
तेरी हिस्से में से मैं हूँ कितना गुज़रा।

©Abhilekh

Saturday, 5 November 2016

Lyric: खो जाने दे..! // Kho jaaney De..!



Kho Jaane De..!! खो जाने दे..!!

Aaj Mujhe Tu, Apni Goad Mein..Sar Rakh Ke, 
Kuch Pal Ke Liye..Yun Kho Jaaney De....!

आज मुझे तू, अपनी गोद में.. सर रख के, कुछ पल के लिए.. यूँ खो जाने दे...!

Ek Pal Ke Liye Sahi, Har Lmha Madhosh..Yun Ho Janey De...!

एक पल के लिए सही, हर लम्हा मदहोश..यूँ हो जाने दे..!!

Jis Tarah Badalon Mein,  Chhup Jata Hai Chaand...
Aaj Apni Zulfon mein, Mujhe Bhi Gum.. Yun Ho Jaaney De...!

जिस तरह बादलों में, छुप जाता है चाँद..आज अपनी ज़ुल्फ़ों में, मुझे भी गुम.. 
यूँ हो जाने दे..!!

Khushnuma mausam mein, Iski Ranginiyat mein,
Apni Saanson Ko, Meri Saanson Mein..
Yun Ghul Jaaney De..!

खुशनुमा मौसम में, इसकी रंगीनियत में..
अपनी साँसों को, मेरी साँसों में..यूँ घुल जाने दे..!!

©Abhilekh
#Abhilekh



Wednesday, 2 November 2016

Pre-tuned Lyrics: लत लग गयी // Lat Lag Gayi!!



Lat Lag Gayi // लत लग गयी।

कुछ इस क़दर, मुझे तेरी, चाहत हुई ..
की तेरे साथ, के लिए ,
तेरी परछाई, बने रहने की, लत लग गयी ...!
मुझे तो तेरी लत लग गयी!!

Kuchh is kadar, mujhe teri, chahat hui..
Ki tere saath, ke liye,
Teri parchhayi, bane rahne ki, lat lag gayi..!
Mujhe to, teri lat, lag gayi!!

तू मुड़ के, भी न देखे ..
और छुप के, यूँ ही शर्माए ,
मुझे तो तेरे, झलक की, तलब लग गयी ...!
मुझे तो तेरी लत लग गयी!!

Tu mud ke, bhi na dekhe..
Aur chhup ke, yun hi sharmaaye,
Mujhe to tere, jhalak ki, talab lag gayi..!
Mujhe to, teri lat, lag gayi?!!

फिज़ा तो, तुझ पे, फ़िदा है ..
तुझे, अपनाने, के लिए,
अपनी तो, उस खुदा से, शर्त लग गयी ...!
मुझे तो तेरी लत लग गयी!!

Fizaa to, tujh pe, fidaa hai..
Tujhe, apnaane, ke liye,
Apni to, us khudaa se, shart lag gayi..!
Mujhe to, teri lat, lag gayi!!

©Abhilekh


Tuesday, 1 November 2016

Lyric: साथ चलते हैं।


Aao kuch dur, saath chalte hai,
Na aage, na piche, bas kadam se kadam..
Dekhte hain kitni dur saath chalte hain..!!

आओ कुछ दूर, साथ चलते हैं, न आगे, न पीछे, बस कदम से कदम..
देखते हैं, कितनी दूर, साथ चलते हैं..!!

Na haathon mein, haath daal ke,
Magar parchayion mein, saath ban ke..
Dekhte hain kitni dur saath chalte hain..!!

न हाथों में, हाथ डाल के, मगर परछाइयों में, साथ बन के..
देखते हैं, कितनी दूर, साथ चलते हैं..!!

Na Aankhon mein, aankhein daale,
Nazaaron ka bas yun hi lutf lete..
Dekhte hain kitni dur saath chalte hain..!!

न आँखों में, आँखें डाले, नज़ारों का बस, यूँ ही लुत्फ़ लेते..
देखते हैं, कितनी दूर, साथ चलते हैं..!!

Na manzil ki, talaash mein,
Na pehchaane se, raaston Mein..
Dekhte hain kitni dur saath chalte hai..!!

न मंज़िल की, तलाश में, न पहचाने से, रास्तों में..
देखते हैं, कितनी दूर, साथ चलते हैं..!!

Thora Tum Aazmao Mohabbat Ko, 
Thora Hamein Bhi Aazmane Do..
Dekhte hain Mohabaat Ke Safar Mein,
Ham kitni dur saath chalte hain..!!

थोड़ा तुम आज़माओ मोहब्बत को, थोड़ा हमें भी आज़माने दो..
देखते हैं मोहब्बत के सफ़र में, हम कितनी दूर साथ चलते हैं..!!

©Abhilekh


Sunday, 30 October 2016

साथ...!!


Kabhi beparwaah sa, kabhi apna sa..
Bas tere saath se, wo pal tha judaa sa..!

Kabhi bewaqt sa, kabhi sakht sa..
Bas tere saath se, wo waqt tha thahra sa..!

Kabhi bematlab sa, kabhi khurdura sa..
Bas tere saath se, wo ehsaas tha makhmali sa..!

Dhalti shaam si, badalte mausam sa..
Bas tere saath se, wo lamha tha zindagi sa..!!

कभी बेपरवाह सा, कभी अपना सा..
बस तेरे साथ से, वो पल था जुदा सा ..!

कभी बेवक्त सा, कभी सख्त सा..
बस तेरे साथ से, वो वक़्त था ठहरा सा ..!

कभी बेमतलब सा, कभी खुरदुरा सा..
बस तेरे साथ से, वो एहसास था मखमली सा ..!

ढलती शाम सी, बदलते मौसम सा..
बस तेरे साथ से, वो लम्हा था ज़िन्दगी सा ..!
©Abhilekh


Rap Lyrics... Bol Bachan/ बोल बचन

Bhai jeb ka aisa haal hai,
Na daal hai na maal hai,
Liqour kabse lull ho gaye..
O sun bhi le takle DJ,
Idhar bhi latest taal hai!!
Daaru puri thi chadhi,
Tuti saali nayi ghadi,
Call pr call thi aayi,
Bhai..gaadi teri hai ladi.!!
Chhod ke party, nikla naughty..
Quarter mein thi, sari hottie..
Addhe mein wo raat thi..
Censor maan ki aankh thi!!

Rap:
Baat meri tu sunle kaake, Rakh le pise tu daba ke
Kitno se  tu leta hai, kitno ko tu deta hai,
Sabse equal, pura total, sabka equal leta hai..
Rakh ke apne dil pe haath, de tu apne soul ka saath
Ya Kar le usse 2-2 haath, haan bol di maine apni baat.

Paisa hai na fame hai,
Time ka sara game hai,
Bhulna mujhe easy nahi..
Record apun ka name hai!!
Likhta main to pehle bhi tha,
Abhi thoda sa change hai,
Hindi wali poetry mein..
Rap ka apna trend hai..!!
Zara sa waqt mai bhi lunga,
Aise hi jawab bhi dunga,
Abhi to jaani aisa hai..
Ye sab tere jaisa hai,
Job n passion same hai..
Naam hi apun ke fame hai!!
©Abhilekh

Saturday, 29 October 2016

Pre tuned Lyric.. तुम ही हो।




Tere Siwa Koi Dikhta Nahi,
Tujhme Hi Sirf Hai Aks Mera...
Tujhse Juda Ho Jina Nahi,
Tujhme Hi Sirf Khudaa Mera..
Kyunki Tum Hi Ho, Ab Tum Hi Ho..
Meri Zindagi Tum Hi Ho..
Bandigi Aur Trishanagi,
Meri Aashiqui Ab Tum Hi Ho ..!

Tera Rasta Dekhte Hai,
Kisi Pal Ki Koi Khabar Nahi..
Har Lamha Tujhe Yaad Karey,
Zamane Ka Koi Ilm Nahi..

Wo Waqt Kabhi Thahra Hi Nahi
Jab Ham Tere Yaad Mein Khoye Nahi..

Kyunki Tum Hi Ho, Ab Tum Hi Ho,
Meri Zindagi Tum Hi Ho...
Aawaargi Aur Deewanagi,
Meri Aashiqui Ab Tum Hi Ho ..!

Tum Hi ho, Tum hi ho...

Tere Wajud Se Dunia Meri,
Har Saans Meri Jaise Karz Tera..
Tere Liye Hi Ye Dunia Bani,
Tere Hi Jism Mein Rooh Mera...
Tujhse Hi Jine Ka Sabab Mera,
Har Rome Hua Talabgaar Tera...

Kyunki Tum Hi Ho, Ab Tum Hi Ho,
Meri Zindagi Tum Hi Ho...
Wo Falak Aur Ye Zamin Bhi,
Meri Aashiqui Ab Tum Hi Ho ..!


©Abhilekh


The Lyric is based on tune of Tum ho from Aashiqui 2.

Thursday, 27 October 2016

A Lyric.. रात भर।



Mujhe bhigo kar, Wo oas thi raat bhar..
Mujhe bhula kar, Wo sufi thi raat bhar..
Main wahi tha, Wo Rumi thi raat bhar..!!

मुझे भिगो कर, वो ओस थी रात भर..
मुझे भुला कर, वो सूफ़ी थी रात भर..
मैं वही था, वो रूमी थी रात भर..!!

Usey chum ke, boond sa..
Usey moond ke, neend sa..
Main lipta raha, us sey raat bhar,
Wo khwaab si rahi raat bhar..!!

उसे चूम के, बूँद सा..
उसे मूँद के, नींद सा..
मैं लिपटा रहा, उस से रात भर..
वो ख्वाब सी रही, रात भर..!!

Wo karib hai, Raqib si..
Jo door thi, Habeeb si..
Main simta raha, us me raat bhar,
Wo shama si rahi raat bhar..!!

वो करीब है, रक़ीब सी..
जो दूर थी, हबीब सी..
मैं सिमटा रहा उस में, रात भर..
वो शमा सी रही, रात भर..!!

©Abhilekh


Monday, 24 October 2016

ऐसी रात...।

ऐसी रात...


ऐसी तेज़ हवा और ऐसी रात नहीं देखी ...
2 बारिशों में स्याह ऐसी रात नहीं देखी,

बरस कर दोनों क्या न कह गए हमसे ...
कोरे अश्क़ों में घुली ऐसी बात नहीं देखी,

हर बूँद थिरक कर दे रही थी सिहरन ...
बदगुमानी की ऐसी बरसात नहीं देखी,

भीगते हैं तर-ब-तर तेरी दहलीज पर ...
रंजिशि की हमने ऐसी ज़ात नहीं देखी,

आज घुल जाने दो मुझे ख़िज़ाओं में ...
किसी भीगे कब्र की ऐसी रात नहीं देखी।।

©Abhilekh

Saturday, 15 October 2016

छोड़ दे...।।

छोड़ दे...।।

रात के टुकड़ों पे पलना छोड़ दे,
ओस के तपिश में जलना छोड़ दे।।

अब सितारे भी देखते है तुझे तन्हा
उम्मीद से दुआ में कहना छोड़ दे।।

सहर की धूप तेरा मुकाम बनेगी
अब इस चाँदनी में रहना छोड़ दे।।

जो दबा है दर्द उकेर दे लफ़्ज़ों में
यूँ रोज़ाना अश्क़ों में बहना छोड़ दे।।

अब यहाँ फ़रेब में वफ़ा लाज़मी है,
दूर होकर हुजूम से चलना छोड़ दे।।

©Abhilekh

Please note: 1st line Waseem Barlewi Ji ki nazm se li gayi hai...

Sunday, 9 October 2016

Lyric.. मोहब्बत नहीं मिलती...!!

मोहब्बत नहीं मिलती..!!
फ़क़त किसी को चाहने से मोहब्बत नहीं मिलती,
दिल में ना हो जुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती।
चँद लम्हे गुज़ार लेने से,
लटों को संवार देने से,
गेसुओं में खोकर मोहब्बत नहीं मिलती,
जिस्म बिकते है, मोहब्बत नहीं मिलती।
दिल में न हो....।।
जब सीरत बदनसीब हो,
और फ़रेब करीब हो,
सूरत की चमक में मोहब्बत नहीं मिलती,
सिलवटें मिलती है, मोहब्बत नहीं मिलती।
दिल में न हो...।।
रौनकें अब हैं मशगूल,
और इश्क़ है फ़िज़ूल,
एहसासों में अब मोहब्बत नहीं मिलती,
सब खो कर भी मोहब्बत नहीं मिलती।
दिल में न हो...।।
©Abhilekh

Friday, 7 October 2016

सब तेरे नाम...

सब तेरे नाम...

यह शफ़क़ शाम हो रही है अब,
शब भी तेरे नाम हो रही है अब।

ठहर जाओ दो घडी मेरी खातिर,
इंतज़ार सर-ए-आम हो रही है अब।

अभी तो रौशन हुई है महफ़िल,
शाम रँग-ए-जाम हो रही है अब।

तेरे लबों से छलक कर बिखरा हूँ,
चाहतें मेरी पैग़ाम हो रही है अब।

एक रात बना कर भुला दो मुझे,
यहाँ सहर नीलाम हो रही है अब।

©Abhilekh

Note: 1st line is from Dushyant Kumar's

Wednesday, 5 October 2016

हर चेहरा... ।।

हर चेहरा...।।

हर एक चेहरा यहाँ पर गुलाल होता है
फिर भी हम सबसे एक सवाल होता है।

जो दौड़ रहा है हम सबकी रगों में लहू,
हर जिस्म में वो क्यों सिर्फ लाल होता है।

जिंदगी रहने तक जो इतने घाव देते हो,
फिर जनाज़े पर क्यों नहीं बवाल होता है।

ज़रा देखना कभी रोटियों को बाँट कर,
चँद निवालों से यहाँ भूख हलाल होता है।

हर उरूज का एक दस्तूर है यहाँ जानिब,
उन्ही रास्तों से वापसी में ज़वाल होता है।

©Abhilekh

नोट: पहली लाइन : "हर एक चेहरा यहाँ पर गुलाल होता है" यह मुन्नवर राणा जी के नज़्म से ली गयी है।

Thursday, 29 September 2016

Lyric.... न आग़ाज़, न अंजाम..!

न आग़ाज़, न अंजाम..!!
इकतरफ़ा इश्क़ के सफर में,
आग़ाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता।
बुझ कर भी उम्मीद से,
अनजाने एहसास का,
वजूद तो होता है, कोई नाम नहीं होता।
इकतरफ़ा .....
आग़ाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता।
खुद से रुस्वा हो कर,
जज़्बातों को बिना उधेड़े,
ऐसी बेवफ़ाई पर इल्ज़ाम नहीं होता।
इकतरफ़ा .....
आग़ाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता।
तन्हायी भी होती है,
परछायी भी होती है,
मेरे मैखाने में कोई जाम नहीं होता।
इकतरफ़ा इश्क़ .....
आग़ाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता।
©Abhilekh

Monday, 26 September 2016

घर बनाने में...।

घर बनाने में...।

लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में,
और लुटे जाते है रह-बर बनाने में।

स्याह चेहरों पर देखो रंगीन नक़ाब,
अब क़त्ल होते है खंजर बनाने में।

कमज़र्फ है यहाँ अब सबकी आदतें,
एक अंदाज़ है अब नज़र चुराने में।

कुरेदने की कवायद है कुछ ऐसी,
मिलते है कई एक शज़र गिराने में।

अपनों ने खींच ली है वहाँ सरहद,
जहाँ ईंटें जुडी थी शहर बसाने में।

©Abhilekh

कृपया ध्यान दें , ऊपर की एक पंक्ति बशीर बद्र साब की है "लोग टूट जाते है एक घर बनाने में"।

Saturday, 24 September 2016

जवाब क्या देते...।

जवाब क्या देते...।

खुदगर्ज़ी के मारे थे, हिसाब क्या देते,
सवाल सारे गलत थे, जवाब क्या देते।

संगदिली में तुम मसरूफ रहे इस कदर,
तुम्हारी वफ़ाओं का हिसाब क्या देते।

फिर से बुत-ए-आदम जब हो चुका हूँ
अपनी तन्हाईयों को हिजाब क्या देते।

मेरे ही ज़ख्म कुरेदे हैं मेरी रूह को,
अपनी आवारगी को ख्वाब क्या देते।

भीगती है बारिश भी अश्कों में खूब,
तेरी इस इनायत को शराब क्या देते।

©Abhilekh

नोट: सवाल सारे गलत थे, जवाब क्या देते... सिर्फ यह मुनीर नियाज़ी जी के ग़ज़ल से ली गयी है।

Wednesday, 21 September 2016

आज उजाला होगा....।

आज उजाला होगा ....।

Gulzaar saab ki 1 line se kaafiya milana tha, usi basis pr likhne ki koshish ki thi, aap sabhi bataiye kaisi hai...

चाँदनी के सिर से सरका आज दुशाला होगा,
फिर बहुत देर तलक आज उजाला होगा।

अमावस भी बादलों की ओट से झाँका होगा,
तभी चाँदनी ने चाँद को घर से निकाला होगा।

रात की चादर में लिपटे हैं ऐसे इतने सितारे,
जैसे किसी महबूब ने ओढ़नी गिराया होगा।

शहर की रौशनी भी चमक उठी है कुछ यूँ
शमा को ज़रूर आफताब नज़र आया होगा।

तमाम कसीदें गढ़ देता हूँ अक्सर बेहयायी में,
ज़रा देखो, लफ़्ज़ों ने कैसे आज़माया होगा।।

©Abhilekh