दिल में ना हो जुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती।
लटों को संवार देने से,
गेसुओं में खोकर मोहब्बत नहीं मिलती,
जिस्म बिकते है, मोहब्बत नहीं मिलती।
और फ़रेब करीब हो,
सूरत की चमक में मोहब्बत नहीं मिलती,
सिलवटें मिलती है, मोहब्बत नहीं मिलती।
और इश्क़ है फ़िज़ूल,
एहसासों में अब मोहब्बत नहीं मिलती,
सब खो कर भी मोहब्बत नहीं मिलती।