कई बार कुछ ख़याल होतें हैं जो बिखर जाते है.… जाने - अनजाने। ऐसे में बहुत कठिन होता है उन्हें फिर से पाना .... अगर पाने कि कोशिश भी करें तो वो एहसास कुछ गुमशुदा से हो जाते हैं। ख़याल जो कैद हो जाएं तो भी सही नही लगता … इसलिए एक पहल कि क्यूँ न इन्हे कुछ इस तरह से संजोया जाये, जिससे क़ैद भी न हों और न ही कहीं बिखर के रह जाएं। एक कोशिश कि है आप से रुबरु मेरे ख्याल भी हो सकें , उम्मीद है आप भी मेरे इन ख्यालों को प्यार और अपनापन देंगे।
Saturday, 5 November 2016
Lyric: खो जाने दे..! // Kho jaaney De..!
Wednesday, 2 November 2016
Pre-tuned Lyrics: लत लग गयी // Lat Lag Gayi!!
Lat Lag Gayi // लत लग गयी।
कुछ इस क़दर, मुझे तेरी, चाहत हुई ..
की तेरे साथ, के लिए ,
तेरी परछाई, बने रहने की, लत लग गयी ...!
मुझे तो तेरी लत लग गयी!!
Kuchh is kadar, mujhe teri, chahat hui..
Ki tere saath, ke liye,
Teri parchhayi, bane rahne ki, lat lag gayi..!
Mujhe to, teri lat, lag gayi!!
तू मुड़ के, भी न देखे ..
और छुप के, यूँ ही शर्माए ,
मुझे तो तेरे, झलक की, तलब लग गयी ...!
मुझे तो तेरी लत लग गयी!!
Tu mud ke, bhi na dekhe..
Aur chhup ke, yun hi sharmaaye,
Mujhe to tere, jhalak ki, talab lag gayi..!
Mujhe to, teri lat, lag gayi?!!
फिज़ा तो, तुझ पे, फ़िदा है ..
तुझे, अपनाने, के लिए,
अपनी तो, उस खुदा से, शर्त लग गयी ...!
मुझे तो तेरी लत लग गयी!!
Fizaa to, tujh pe, fidaa hai..
Tujhe, apnaane, ke liye,
Apni to, us khudaa se, shart lag gayi..!
Mujhe to, teri lat, lag gayi!!
©Abhilekh
Tuesday, 1 November 2016
Lyric: साथ चलते हैं।
Sunday, 30 October 2016
साथ...!!
Bas tere saath se, wo pal tha judaa sa..!
Kabhi bewaqt sa, kabhi sakht sa..
Bas tere saath se, wo waqt tha thahra sa..!
Kabhi bematlab sa, kabhi khurdura sa..
Bas tere saath se, wo ehsaas tha makhmali sa..!
Dhalti shaam si, badalte mausam sa..
Bas tere saath se, wo lamha tha zindagi sa..!!
कभी बेपरवाह सा, कभी अपना सा..
बस तेरे साथ से, वो पल था जुदा सा ..!
कभी बेवक्त सा, कभी सख्त सा..
बस तेरे साथ से, वो वक़्त था ठहरा सा ..!
कभी बेमतलब सा, कभी खुरदुरा सा..
बस तेरे साथ से, वो एहसास था मखमली सा ..!
ढलती शाम सी, बदलते मौसम सा..
बस तेरे साथ से, वो लम्हा था ज़िन्दगी सा ..!
©Abhilekh
Rap Lyrics... Bol Bachan/ बोल बचन
Na daal hai na maal hai,
Liqour kabse lull ho gaye..
O sun bhi le takle DJ,
Idhar bhi latest taal hai!!
Daaru puri thi chadhi,
Tuti saali nayi ghadi,
Call pr call thi aayi,
Bhai..gaadi teri hai ladi.!!
Chhod ke party, nikla naughty..
Quarter mein thi, sari hottie..
Addhe mein wo raat thi..
Censor maan ki aankh thi!!
Rap:
Baat meri tu sunle kaake, Rakh le pise tu daba ke
Kitno se tu leta hai, kitno ko tu deta hai,
Sabse equal, pura total, sabka equal leta hai..
Rakh ke apne dil pe haath, de tu apne soul ka saath
Ya Kar le usse 2-2 haath, haan bol di maine apni baat.
Paisa hai na fame hai,
Time ka sara game hai,
Bhulna mujhe easy nahi..
Record apun ka name hai!!
Likhta main to pehle bhi tha,
Abhi thoda sa change hai,
Hindi wali poetry mein..
Rap ka apna trend hai..!!
Zara sa waqt mai bhi lunga,
Aise hi jawab bhi dunga,
Abhi to jaani aisa hai..
Ye sab tere jaisa hai,
Job n passion same hai..
Naam hi apun ke fame hai!!
©Abhilekh
Saturday, 29 October 2016
Pre tuned Lyric.. तुम ही हो।
Tere Siwa Koi Dikhta Nahi,
Tujhme Hi Sirf Hai Aks Mera...
Tujhse Juda Ho Jina Nahi,
Tujhme Hi Sirf Khudaa Mera..
Kyunki Tum Hi Ho, Ab Tum Hi Ho..
Meri Zindagi Tum Hi Ho..
Bandigi Aur Trishanagi,
Meri Aashiqui Ab Tum Hi Ho ..!
Tera Rasta Dekhte Hai,
Kisi Pal Ki Koi Khabar Nahi..
Har Lamha Tujhe Yaad Karey,
Zamane Ka Koi Ilm Nahi..
Wo Waqt Kabhi Thahra Hi Nahi
Jab Ham Tere Yaad Mein Khoye Nahi..
Kyunki Tum Hi Ho, Ab Tum Hi Ho,
Meri Zindagi Tum Hi Ho...
Aawaargi Aur Deewanagi,
Meri Aashiqui Ab Tum Hi Ho ..!
Tum Hi ho, Tum hi ho...
Tere Wajud Se Dunia Meri,
Har Saans Meri Jaise Karz Tera..
Tere Liye Hi Ye Dunia Bani,
Tere Hi Jism Mein Rooh Mera...
Tujhse Hi Jine Ka Sabab Mera,
Har Rome Hua Talabgaar Tera...
Kyunki Tum Hi Ho, Ab Tum Hi Ho,
Meri Zindagi Tum Hi Ho...
Wo Falak Aur Ye Zamin Bhi,
Meri Aashiqui Ab Tum Hi Ho ..!
©Abhilekh
The Lyric is based on tune of Tum ho from Aashiqui 2.
Thursday, 27 October 2016
A Lyric.. रात भर।
Mujhe bhigo kar, Wo oas thi raat bhar..
Mujhe bhula kar, Wo sufi thi raat bhar..
Main wahi tha, Wo Rumi thi raat bhar..!!
मुझे भिगो कर, वो ओस थी रात भर..
मुझे भुला कर, वो सूफ़ी थी रात भर..
मैं वही था, वो रूमी थी रात भर..!!
Usey chum ke, boond sa..
Usey moond ke, neend sa..
Main lipta raha, us sey raat bhar,
Wo khwaab si rahi raat bhar..!!
उसे चूम के, बूँद सा..
उसे मूँद के, नींद सा..
मैं लिपटा रहा, उस से रात भर..
वो ख्वाब सी रही, रात भर..!!
Wo karib hai, Raqib si..
Jo door thi, Habeeb si..
Main simta raha, us me raat bhar,
Wo shama si rahi raat bhar..!!
वो करीब है, रक़ीब सी..
जो दूर थी, हबीब सी..
मैं सिमटा रहा उस में, रात भर..
वो शमा सी रही, रात भर..!!
©Abhilekh
Monday, 24 October 2016
ऐसी रात...।
ऐसी तेज़ हवा और ऐसी रात नहीं देखी ...
2 बारिशों में स्याह ऐसी रात नहीं देखी,
बरस कर दोनों क्या न कह गए हमसे ...
कोरे अश्क़ों में घुली ऐसी बात नहीं देखी,
हर बूँद थिरक कर दे रही थी सिहरन ...
बदगुमानी की ऐसी बरसात नहीं देखी,
भीगते हैं तर-ब-तर तेरी दहलीज पर ...
रंजिशि की हमने ऐसी ज़ात नहीं देखी,
आज घुल जाने दो मुझे ख़िज़ाओं में ...
किसी भीगे कब्र की ऐसी रात नहीं देखी।।
©Abhilekh
Saturday, 15 October 2016
छोड़ दे...।।
छोड़ दे...।।
रात के टुकड़ों पे पलना छोड़ दे,
ओस के तपिश में जलना छोड़ दे।।
अब सितारे भी देखते है तुझे तन्हा
उम्मीद से दुआ में कहना छोड़ दे।।
सहर की धूप तेरा मुकाम बनेगी
अब इस चाँदनी में रहना छोड़ दे।।
जो दबा है दर्द उकेर दे लफ़्ज़ों में
यूँ रोज़ाना अश्क़ों में बहना छोड़ दे।।
अब यहाँ फ़रेब में वफ़ा लाज़मी है,
दूर होकर हुजूम से चलना छोड़ दे।।
©Abhilekh
Please note: 1st line Waseem Barlewi Ji ki nazm se li gayi hai...
Sunday, 9 October 2016
Lyric.. मोहब्बत नहीं मिलती...!!
दिल में ना हो जुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती।
लटों को संवार देने से,
गेसुओं में खोकर मोहब्बत नहीं मिलती,
जिस्म बिकते है, मोहब्बत नहीं मिलती।
और फ़रेब करीब हो,
सूरत की चमक में मोहब्बत नहीं मिलती,
सिलवटें मिलती है, मोहब्बत नहीं मिलती।
और इश्क़ है फ़िज़ूल,
एहसासों में अब मोहब्बत नहीं मिलती,
सब खो कर भी मोहब्बत नहीं मिलती।
Friday, 7 October 2016
सब तेरे नाम...
सब तेरे नाम...
यह शफ़क़ शाम हो रही है अब,
शब भी तेरे नाम हो रही है अब।
ठहर जाओ दो घडी मेरी खातिर,
इंतज़ार सर-ए-आम हो रही है अब।
अभी तो रौशन हुई है महफ़िल,
शाम रँग-ए-जाम हो रही है अब।
तेरे लबों से छलक कर बिखरा हूँ,
चाहतें मेरी पैग़ाम हो रही है अब।
एक रात बना कर भुला दो मुझे,
यहाँ सहर नीलाम हो रही है अब।
©Abhilekh
Note: 1st line is from Dushyant Kumar's
Wednesday, 5 October 2016
हर चेहरा... ।।
हर चेहरा...।।
हर एक चेहरा यहाँ पर गुलाल होता है
फिर भी हम सबसे एक सवाल होता है।
जो दौड़ रहा है हम सबकी रगों में लहू,
हर जिस्म में वो क्यों सिर्फ लाल होता है।
जिंदगी रहने तक जो इतने घाव देते हो,
फिर जनाज़े पर क्यों नहीं बवाल होता है।
ज़रा देखना कभी रोटियों को बाँट कर,
चँद निवालों से यहाँ भूख हलाल होता है।
हर उरूज का एक दस्तूर है यहाँ जानिब,
उन्ही रास्तों से वापसी में ज़वाल होता है।
©Abhilekh
नोट: पहली लाइन : "हर एक चेहरा यहाँ पर गुलाल होता है" यह मुन्नवर राणा जी के नज़्म से ली गयी है।
Thursday, 29 September 2016
Lyric.... न आग़ाज़, न अंजाम..!
आग़ाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता।
अनजाने एहसास का,
वजूद तो होता है, कोई नाम नहीं होता।
इकतरफ़ा .....
आग़ाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता।
जज़्बातों को बिना उधेड़े,
ऐसी बेवफ़ाई पर इल्ज़ाम नहीं होता।
इकतरफ़ा .....
आग़ाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता।
परछायी भी होती है,
मेरे मैखाने में कोई जाम नहीं होता।
इकतरफ़ा इश्क़ .....
आग़ाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता।
Saturday, 10 October 2015
Pre tuned Lyric: हम तुम!
Fir khushi ka mausam aaye..
Rahna nahi ab kahin bhi tere bin,
Duri aao milke bhulaaye..
Chhu ke labon ko sabkuch bhulaa den..
Aur iss bahane..
Ek apna jahaan banaayen..!!
Mai aur meri ye dunia..
Tum saath rahna, harpal mere..
Fir kya hai ye dunia..
Aur hosh apne gum ho jaayen..
Mausam ko aao thoda bahkaayen..
Apne rang mein jahaan ko bhulaayen..
Chhu ke labon ko sabkuch bhulaa den
Aur iss bahane..
Ek apna jahaan banaayen..!!
फिर ख़ुशी का मौसम आए..!
रहना नहीं अब कहीं भी तेरे बिन,
दुरी आओ मिल के भुलाएँ..!
छु के लबों को, सब कुछ भुला दें.. और इस बहाने,
एक अपना जहाँ बनाएँ..!!
मैं और मेरी ये दुनिया..!
तुम साथ रहना, हर पल मेरे..
फिर क्या है ये दुनिया..!
और होश अपने, गुम हो जाएँ..!
मौसम को आओ थोड़ा बहकाएँ,
अपने रँग में जहाँ को भुलाएँ..
छु के लबों को, सब कुछ भुला दें...और इस बहाने,
एक अपना जहाँ बनाएँ..!!
Thursday, 8 October 2015
Lyrics: ज़िन्दगी सी तुम....!!
Ya to zindagi ban ke. Ya manzil ban ke.
Milkar fir thahar jao alag andaaz se..
Ya to manzar ban ke. Ya lamha ban ke.
या तो ज़िन्दगी बन के, या मंज़िल बन के..!
मिलकर फिर ठहर जाओ अलग अंदाज़ से..
या तो मंज़र बन के, या लम्हा बन के..!!
Tere saath bitaaye lamhe..
Khud misaal-e-manzar kahlaayegi..!
Tum bikharna bhi to mujhpe hi bikharna..
Ya to libaas ban ke. Ya jism ban ke.
Aur simatnaa bhi mujhme befikar hokar..
Ya to rooh ban ke. Ya saans ban ke.
तेरे साथ बिताये लम्हे,
खुद मिसाल-ए-मंज़र कहलाएगी..!
तुम बिखरना भी तो मुझपे ही बिखरना..
या तो लिबास बन के, या जिस्म बन के..!
और सिमटना भी मुझमे बेफिक्र होकर..
या तो रूह बन के, या साँस बन के..!!
Kis lafz mein tujhe bayaan karun..
Tera naam to har dua se naayaab hai..!
Ab apni but-parasti se mujhe azaad karo..
Ya to khudaa ban ke. Ya to ham-saya ban ke.
Ek aadat si meri zindagi mein shaamil ho jao..
Ya to alfaaz ban ke. Ya koi dua ban ke..!
किस लफ्ज़ में तुझे बयाँ करूँ,
तेरा नाम तो हर दुआ से नायाब है..!
अब अपनी बुत-परस्ती से मुझे आज़ाद करो..
या तो खुदा बन के, या तो हम-साया बन के..!
एक आदत सी मेरी ज़िन्दगी में शामिल हो जाओ..
या तो अल्फ़ाज़ बन के, या कोई दुआ बन के..!!
About Me
- Abhilekh Dwivedi अभिलेख द्विवेदी
- India
- I share content and solutions for mental wellness at workplace! After spending a couple of decade in Retail Industry and Content writing, I am still writing! A Freelance Professional Copywriter, who is also an Author. If you are reading this, do leave your comments. Connect for paid projects. ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ Yahan wo har baat hai jisey aap sunne ke bajaye padhna pasand karte hain. Aapka saath milega toh har shabd ko ek manzil mil jayegi!