Thursday, 8 October 2015

Lyrics: ज़िन्दगी सी तुम....!!

ज़िन्दगी सी तुम...
Milo tum aksar kuch alag andaaz se..
Ya to zindagi ban ke. Ya manzil ban ke.
Milkar fir thahar jao alag andaaz se..
Ya to manzar ban ke. Ya lamha ban ke.

मिलो तुम अक्सर कुछ अलग अंदाज़ से..
या तो ज़िन्दगी बन के, या मंज़िल बन के..!
मिलकर फिर ठहर जाओ अलग अंदाज़ से..
या तो मंज़र बन के, या लम्हा बन के..!!

Zindagi ban gayi to manzil bhi mil jayegi..
Tere saath bitaaye lamhe..
Khud misaal-e-manzar kahlaayegi..!
Tum bikharna bhi to mujhpe hi bikharna..
Ya to libaas ban ke. Ya jism ban ke.
Aur simatnaa bhi mujhme befikar hokar..
Ya to rooh ban ke. Ya saans ban ke.

ज़िन्दगी बन गयी तो मंज़िल भी मिल जायेगी..
तेरे साथ बिताये लम्हे,
खुद मिसाल-ए-मंज़र कहलाएगी..!
तुम बिखरना भी तो मुझपे ही बिखरना..
या तो लिबास बन के, या जिस्म बन के..!
और सिमटना भी मुझमे बेफिक्र होकर..
या तो रूह बन के, या साँस बन के..!!

Tere tasawuur mein guzra har waqt kamyaab  hai.
Kis lafz mein tujhe bayaan karun..
Tera naam to har dua se naayaab hai..!
Ab apni but-parasti se mujhe azaad karo..
Ya to khudaa ban ke. Ya to ham-saya ban ke.
Ek aadat si meri zindagi mein shaamil ho jao..
Ya to alfaaz ban ke. Ya koi dua ban ke..!

तेरे तस्सवुर में गुज़रा हर वक़्त कामयाब है..
किस लफ्ज़ में तुझे बयाँ करूँ,
तेरा नाम तो हर दुआ से नायाब है..!
अब अपनी बुत-परस्ती से मुझे आज़ाद करो..
या तो खुदा बन के, या तो हम-साया बन के..!
एक आदत सी मेरी ज़िन्दगी में शामिल हो जाओ..
या तो अल्फ़ाज़ बन के, या कोई दुआ बन के..!!

©Abhilekh

Wednesday, 7 October 2015

Lyrics: एक बूँद रुमानियत की...!!

Bhigi zulf se wo bhiga ehsaas tapka hai..
Gardan ko chumte huye teri peeth pe bikhra hai..
Bhigo ke tere ang aur libaas ko..
Mere hi imaan mein sharaarat ko ghola hai..!

Hataa dun libaas ya chum lun us boond ko..
Ya chum kar tumhe jala dun us boond ko..
Bagawaat ki raah pe wo qaafir,
Badi besharmi se teri kamar ko oar pighla hai..!

Apni harkaton ko aaj tum thahar jaane do..
Is nasheman ko aaj wahin sawanr jaane do..
Karib aakar gunaahon ke bahaane,
Us qatre mein aaj maine rumaaniyat ko ghola hai..!

भीगी ज़ुल्फ़ से वो भीगा एहसास है..
गर्दन को चूमते हुए तेरी पीठ पे बिखरा है..
भिगो के तेरे अँग और लिबास को,
मेरे ही ईमान में शरारत को घोला है..!

हटा दूँ लिबास या चूम लूँ उस बूँद को..
या चूम कर तुम्हे, जला दूँ उस बूँद को..
बगावत की राह पे वो क़ाफ़िर,
बड़ी बेशर्मी से तेरी कमर की ओर पिघला है..!

अपनी हरकतों को आज तुम ठहर जाने दो..
इस नशेमन को आज, वहीँ सवँर जाने दो..
करीब आकर गुनाहों के बहाने,
उस कतरे में आज मैंने रुमानियत को घोला है..!

©Abhilekh
#Abhilekh

Tuesday, 6 October 2015

Pre tuned Lyric... इश्क़ क्या है...

Try this on song's tune: Khubsurat hai wo itna.. Movie: Rog.
Ishq kya marz hai aur kyu hai..
Kaha nahi jata..
Qaid mein iske kyu sab hain..
Kaha nahi jata..
Ishq fitur hai ye jaante hain ham lekin..
Bina uljhe isse raha nahi jata..!
Wo jo gum hokar bhi hai mujhme..
Kyu wo dikhta nahi..
Har khayaalon mein wo gusum hai..
Kuch kyu kahta nahi..
Kore kaagaz pe bhi likh ke, kaha nhi jata..
Aur bina lik'khe is dil ko, raha nahi jata..!!

इश्क़ क्या मर्ज़ है और क्यूँ है.. कहा नहीं जाता...
क़ैद में इसके क्यूँ सब है.. कहा नहीं जाता...
इश्क़ फितूर है ये जानते हैं हम लेकिन..
बिना उलझे इस से रहा नहीं जाता..!
वो जो गुम होकर भी है मुझमें..क्यूँ वो दिखता नहीं..
हर ख्यालों में वो गुमसुम है.. कुछ क्यूँ कहता नहीं..
कोरे कागज़ पे भी लिख के, कहा नहीं जाता..
और बिना लिखे इस दिल को, रहा नहीं जाता..!!
#Abhilekh

Saturday, 3 October 2015

Lyrics: रुमानियत!!

तू घुल चुकी थी साँसों में..
और मैं तुझपे सराबोर था...

शबनमी जिस्म थी तर-ब-तर..
और रुमानियत का आलम पुरज़ोर था...!

मैं पीता रहा तुझे क़तरा क़तरा..
तेरी हर घूँट में दबा सा शोर था...
जिस्म की सर्द रातें लिपटी रही..
साँसों की गर्मी से रागों में एक भोर था...!

तू पिघल कर बिस्तर सी रही..
और मैं तुझ में गुमशुदा हर ओर था...
अंगड़ाई की पहली पहर ली तुमने..
और लबों में ज़िन्दगी दबाये मोहब्बत मेरी ओर था।

©Abhilekh
#Abhilekh

Wednesday, 30 September 2015

Lyrics: Tera Hona Chaahta Hun...!!

Tere saath us manzar ko jinaa chahata hun...
Na Koi lamha, na koi mauka...
puri zindagi chahta hun..!

Tu lipat ja mujhse ya ghul ja mujhme..
Na koi katra, na samandar....
tujhe pura pina chahta hun..!

Hai waqt bahut lekin zindagi kam...
Na koi rishta na silsila...
tujhme khud ko khona chahta hun..!

Mohabbat hai aur qayaamat tak rahegi..
Na koi rang na koi zarra...
tujhko apna jahaan banaana chahta hun..!

Kisi but ka mai aadi qatai nahi...
Na koi jism na koi rooh...
Fir bhi apni duaon mein,
Tujhe padhna chahta hun...!!

©Abhilekh
#Abhilekh

Friday, 12 June 2015

4 // गूँज an anthology

4

4 पल की ज़िन्दगी का सफ़र,
4 पैरों की चारपाई से शुरू होती है...
और, 4 काँधों पर ख़त्म होती है।

4 कोनों से बनी यह दुनिया,
4 दीवारों में सिमटी होती है...
और, 4 इंसानों के बीच बँटी होती है।

4 पल की ज़िन्दगी में,
4 ख़याल बेचैन करते है..
क्यूँकी, 4 रिश्तों में ज़िन्दगी उलझी होती है।

4 धर्म के आडम्बर में
4 दुनिया उलझी पड़ी है...
क्यूँकी, 4 इंसानों  में एक लहू की कमी होती है।

अगर यह गिनती बढ़ भी जाए तो क्या होगा..
और अगर कम भी हो जाये तो क्या बदलेगा..
.... सिर्फ एक नया कोलाहल ही होगा।।

#Abhilekh

Thursday, 11 June 2015

Smartphone // गूँज an anthology

Smartphone

Smartphone सी आदतें इंसान की हो गयी,
एक ऊँगली की कुरेद से कितनी परतें खुल गयी।

Apps की गलियों में गुम है कितने ख़याल,
बेवजह रिश्तों की अहमियत परतों में गुम हो गयी।

वक़्त सा बेपरवाह है animated wallpaper,
फिर भी निरंतरता में उसकी दुनिया है सिमट गयी।

हाथों में पूरा जहाँ लिए घूमता हूँ अकेला,
Chat apps की व्यस्तता मेरी ज़िन्दगी हो गयी।

अब हर मौके पर रिश्ते अपनी नीयत बदलते है,
क्यूँकी Updated version की सबको लत लग गयी।

जहाँ का शोर अब मुझे क़तई नही काटता,
क्यूँकी mp3/avi से दुनिया मेरी रंगीन हो गयी।

हर smartphone का अपना ही दौर है,
क्यूँकी इंसानों की औक़ात अब हाथों में आ गयी।

#abhilekh

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