ऐसी तेज़ हवा और ऐसी रात नहीं देखी ...
2 बारिशों में स्याह ऐसी रात नहीं देखी,
बरस कर दोनों क्या न कह गए हमसे ...
कोरे अश्क़ों में घुली ऐसी बात नहीं देखी,
हर बूँद थिरक कर दे रही थी सिहरन ...
बदगुमानी की ऐसी बरसात नहीं देखी,
भीगते हैं तर-ब-तर तेरी दहलीज पर ...
रंजिशि की हमने ऐसी ज़ात नहीं देखी,
आज घुल जाने दो मुझे ख़िज़ाओं में ...
किसी भीगे कब्र की ऐसी रात नहीं देखी।।
©Abhilekh